अपनी जिंदगी के अलग ही असूल हैं। तेरी खातिर तो कांटे भी कबूल है। हस कर चल दू कांच के टुकड़ो पर भी। अगर तू कह दे, ये मेरे बिछाये हुये फूल हैं। ।। जय श्री श्याम।।
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