सारी ज़िन्दगी की भागदौड़ का मेहनताना भी क्या खूब है, चेहरे पे झुरियाँ, और अपनों से दूरियां,
जिन्दगी समझ आ गयी तो अकेले में मेला, और ना समझ आयी तो, मेले में भी अकेला । 😎😎😎😎
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